जैसा की आप जानते है की काफी दिनों से दूरदर्शन के डी डी फ्रीडिश के इ-ऑक्शन पर रोक लगी हुयी है. ये सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के द्वारा लगायी गयी थी क्युकी इन इ-ऑक्शन में कुछ अननियमतताये थी. अभी जो डी डी फ्रीडिश पर प्राइवेट टीवी चैनल्स चल रहे है वो डेली बेसिस पर फीस अदायगी कर रहे है. इससे पहले, दूरदर्शन निजी प्रसारकों को डीडी फ्री डिश पर खाली चैनल स्लॉट्स के लिए दो महीने में एक बार नीलामी करता था। वर्ष 2016-17 में दूरदर्शन प्रसार भारती ने डीडी फ्री डिश से 2,64.17 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था, पर वही दूरदर्शन के चैनल्स के advertisements से आने वाले राजस्व में नुक्सान भी हुआ था.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का मानना है की डी डी फ्रीडिश में प्राइवेट टीवी चैनल्स की संख्या बढ़ने पर दूरदर्शन को देखने वालो में काफी कमी आई है जिसका असर दूरदर्शन के advertisement रेवेन्यु पर पड़ा है. इसी कारण से सूचना प्रसारण मंत्रालय कुछ बीच का रास्ता निकालना चाहता है,सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने डीडी फ्री डिश नीलामी की समीक्षा करने का फैसला किया है की डी डी फ्रीडिश पर प्राइवेट टीवी चैनल्स भी बने रहे और दूरदर्शन का advertisement या अन्य रेवेन्यु प्रभावित न हो. और सरकार वर्तमान में अपनी नीति की समीक्षा कर रही है। लेकिन अभी जिन चैनलों का डी डी फ्रीडिश पर समय पूरा हो रहा है, वे चिंतित हैं कि यदि नीलामी नहीं हुई है तो उन्हें डी डी फ्रीडिश डीटीएच से हटा दिया जा सकता है।
वर्तमान में, दूरदर्शन के डीटीएच प्लेटफॉर्म फ्री डिश पर लगभग 118 टीवी चैनल हैं, जिनमें ज़ी अनमोल, स्टार उत्सव, सोनी पल, रिश्ते, जी न्यूज़ और आज तक जैसे समाचार चैनल जैसे निजी सामान्य मनोरंजन या न्यूज़ चैनल भी शामिल हैं। डी डी फ्रीडिश सेवा भारत की एक मात्र फ्री डीटीएच सेवा है जिसके लिए किसी भी मासिक भुगतान की जरुरत नहीं पढ़ती है और केवल एक बार की लागत ही लगनी पड़ती है जिसमें डिश ऐन्टेना, केबल, lnb, सेट-टॉप बॉक्स आदि उपकरण लगाने होते है.
पर आज के सन्दर्भ में देखा जाए तो अगर यही गतिविधियाँ रही तो डी डी फ्रीडिश को अपने यूजर्स खोने का भारी नुक्सान उठाना पड सकता है.
इसके कुछ प्रमुख कारण नीचे है.
शहरों और गाँवो डी डी फ्रीडिश का अभी इस्तेमाल प्राइवेट चैनल्स के जुड़े होने के कारण ही करते है अगर सभी प्राइवेट चैनल्स हटा लिए जाए तो ये किसी भयानक भूकंप से कम नहीं होगा, क्युकी रिलायंस कम्पनी टेलिकॉम sector में धमाके के बाद अब IPTV और डीटीएच इंडस्ट्री में तहलका मचा सकता है क्युकी रिलायंस बिग टीवी ने हाल ही में एक ऑफर निकाला है जिसके तहत यूजर्स को शुरुआत यानी 499 रुपये की बुकिंग करानी होती है उसके बाद कुछ 1900 रुपये इंस्टालेशन के समय और 250 रुपये इंस्टालेशन के ही देने होगे. यानि आपको करीब करीब 2200-2500 रुपये देने होंगे जिसमे 200 से ज्यादा फ्री-टू एयर चैनल्स 5 साल के लिए, लिए जा सकते है. मतलव आप जितने में डी डी फ्रीडिश का सिस्टम खरीदेंगे उतने में ही आपको रिलायंस बिग टीवी कनेक्शन मिल जायेगा जिसमे आप चाहे तो पे चैनल्स एक्टिव भी करा सकते है और नहीं कराये तब भी तो 5 साल तक आपको फ्रीटूएयर चैनल्स मिलेगी जिनकी संख्या डी डी फ्रीडिश से कही ज्यादा हो सकती है.
जैसा की आपको ये भी पता होगा की डी डी फ्रीडिश में CAS वाले सेट-टॉप बॉक्सस को मार्किट में उतारा जा रहा है जो गले की हड्डी बन सकता है, क्युकी ये सेट-टॉप बॉक्स आज की टेक्नोलॉजी से बने हुए नहीं है, इनमे पुराणी टेक्नोलॉजी यानी MPEG-4 प्रणाली पर उपलव्ध है. पर आज ज्यादातर टीवी चैनल्स अपने आपको HD या HEVC में अपग्रेड करने में लगे हुए. मतलब आप इन सेट-टॉप बोक्सो में HD चैनल्स नहीं देख सकते है. यहाँ तक की दूरदर्शन का अपना चैनल “DD National HD ” भी इन बोक्सो में नहीं चलेगा.
आप ये भी जानते होगे की सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने डीडी फ्री डिश नीलामी की समीक्षा करने का फैसला किया है, अगर कोई ऐसा फैसला होता है जिसमे प्राइवेट चैनल्स की संख्या कम होती है तो लोग पुरानी टेक्नोलॉजी से प्रेरित डी डी फ्रीडिश के MPEG-4 सेट-टॉप बॉक्स क्यों खरीदेंगे जिनमे अन्य सॅटॅलाइट से फ्री-टू-एयर चैनल्स भी नहीं चलते, HD चैनल्स भी नहीं चलते, रिकॉर्डिंग भी नहीं होती. और न ही इन्टरनेट से YouTube देख सकते है, आदि-आदि अतिरिक्त फीचरस उपलव्ध नहीं होगे.
आप ये भी जानते होगे की आजकल ब्रॉडबैंड कनेक्शन या इन्टरनेट कनेक्शन का दाम, एक डीटीएच के बिल के बराबर हो गया है जहाँ आप इन्टरनेट के साथ साथ लाइव टीवी का भी लुत्फ़ ले सकते है वहां कोई पुरानी टेक्नोलॉजी की तरफ क्यों देखेंगा.
जहाँ तक इस ब्लॉग पर यूजर्स के कमेंट के अनुसार डी डी फ्रीडिश को चाहिए की :
डी डी फ्रीडिश एक फ्री टू एयर सर्विस है और इसे फ्री टू एयर ही रहना चाहिए. हाँ, दूरदर्शन यदि चाहे तो अपने चैनल्स को डी डी फ्रीडिश के पहले वाले स्लॉट पर या प्रीमियम स्लॉट पर लगा सकता है.दूरदर्शन को अपने चैनल्स आने वाले प्रोग्राम्स की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, न की अभी भी 1980 में रिकॉर्ड किया गया प्रोग्राम्स ही दिखाते रहे. इसका आईडिया विदेशो में चल रहे सरकारी चैनल्स से ले सकते है. जो प्राइवेट टीवी चैनल्स से भी अच्छी प्रोग्रामिंग दे रहे है.
अगर डी डी फ्रीडिश को रेवेन्यु ही कमाना है तो दूरदर्शन पर उपलव्ध प्राइवेट चैनल्स से भी कम सकते है, डी डी फ्रीडिश चाहे तो उन चैनल्स पर कभी कभी advertisement फ्रेम लगा कर, या advertisement की स्क्रॉलिंग चला कर कमा सकती है. जैसे स्पोर्ट्स दिखाते समय होता है. और भी तरीके हो सकते है वजाय यूजर्स को परेशान करने के.
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